Tuesday, 1 December 2015

'र' के अनेक रूप - हिंदी व्याकरण Class 9th

'र' के अनेक रूप - हिंदी व्याकरण Class 9th Course -'B'

हिंदी वर्णमाला में 'र' वर्ण का विशेष स्थान है क्योंकि इसका प्रयोग लिखने में कई तरीकों से किया जाता है। हम 'र' वर्ण के अनेकों रूपों के बारे में उदाहरणों द्वार जानेंगे।

संयुक्त रूप से 'र' वर्ण का उच्चारण तीन तरीकों से होता है-
• रेफ (जैसे: पर्व)
• पाई वाले व्यंजनों के साथ (जैसे: क्रम )
• बिना पाई वाले व्यंजनों के साथ (जैसे: राष्ट्र)

रेफ

शब्द के बीच में पड़ते समय जब 'र' वर्ण के साथ कोई स्वर नहीं होता तब उसके ठीक बाद वाले वयंजन के ऊपर रेफ लगाया जाता है। जैसे:
• धर्म - इस शब्द में बिना स्वर वाले 'र' के बाद 'म' व्यंजन है इसलिए रेफ 'म' पर लगा है।
• कार्य - इस शब्द में बिना स्वर वाले 'र' के बाद 'य' व्यंजन है इसलिए रेफ 'य' पर लगा है।

जो अर्ध 'र' या रेफ़ शब्द के ऊपर लगता है, उसका उच्चारण हमेशा उस व्यंजन ध्वनि से पहले होता है।

पाई तथा बिना पाई वाले व्यंजनों के साथ 'र' का प्रयोग

जब 'र' से पहले प्रयुक्त व्यंजन बिना स्वर का होता है यानी अर्ध होता है और इसका उच्चारण प्रयुक्त वर्ण के बाद होता है तो 'र' से पहले पूरा वर्ण लिखा जाता है और 'र' के लिखने का रूप बदल जाता है।
ऐसी स्थिति में पाई तथा बिना पाई वाले व्यंजन के साथ इनका प्रयोग अलग होता है।

पाई वाले व्यंजनों के बाद प्रयुक्त 'र' पाई के नीचे तिरछा होकर प्रयुक्त होता है। जैसे:
• क् + र = क्र, क्रोध, क्रम
• प् + र = प्र, प्रश्न, प्रधान

बिना पाई वाले व्यंजनों के बाद प्रयुक्त 'र' व्यंजन के नीचे ( ्र ) के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे:
• ड् + र = ड्र, ड्रम, ड्रेस
• ट् + र = ट्र, ट्रैक, ट्रक

त् और श् के बाद 'र' का प्रयोग 

त् के बाद जब 'र' आता है तो संयुक्ताक्षर 'त्र' बन जाता है। जैसे: त् + र = त्र, त्रिशूल, त्रिनेत्र
श् के बाद जब 'र' आता है तो संयुक्ताक्षर 'श्र' बन जाता है। जैसे: श् + र = श्र, श्रद्धा, श्रम

द् और ह् के बाद 'र' का प्रयोग

द् के बाद जब 'र' आता है तो यह 'द' के नीचे पाई के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे: द्रव्य, दरिद्र,
ह् के बाद जब 'र' आता है तो यह 'ह' में ही पाई के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे: ह्रस्व, ह्रास

र और ऋ की मात्राओं में अंतर

'र' और ऋ की मात्राओं में बहुत अंतर है। लेखन के साथ-साथ उच्चारण में भी इन दोनों की मात्राओं में साफ़ अंतर किन्तु फिर भी इनमें अक्सर गलतियाँ हो जाती हैं। नीचे दिए उदाहरणों से इस अंतर को समझें-

क् + ऋ = कृ, कृपा, कृष्ण
क् + र = क्र, क्रमांक, क्रिया

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