Thursday, 14 January 2016

हिंदी 'ब' Sample Paper 2016 Solutions| Class 9th

Solution of Sample Paper Class 9th Course 'B' Summative Assessment II 2016

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खण्ड - 'क' (अपठित बोध एवं मुक्त पाठ)

1. (क) हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी मे फैली हुई थी।
(ख) यह सभ्यता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत देश में फैला था। आज के गुजरात, पंजाब, महराष्ट्र जैसे भारत के कई राज्य इसमें शामिल थे।
(ग) खेती के औजारों को बनाने के लिए प्रस्तर एवं कांस्य धातु का प्रयोग किया जाता था। गेंहू, जौ, राई, मटर, ज्वार यहाँ की मुख्य फसलें थीं।
(घ) हड़प्पा सभ्यता में यातायात के लिए दो पहियों तथा चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैसागाड़ी का उपयोग किया जाता था।
(ड़) इस सभ्यता के अंत के पीछे कोई एक कारण नहीं बल्कि विभिन्न कारण थे जैसे बर्बर आक्रमण, जलवायु परिवर्तन एवं पारिस्थितिक असंतुलन, बाढ तथा भू-तात्विक परिवर्तन, महामारी आदि।

2.
(i) पर्यावरण के दूषित होने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हम पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। कहीं अधिक गर्मी पड़ रही है तो कहीं अधिक ठण्ड, किसी जगह बारिश से बाढ़ आ रहे हैं तो किसी जगह सूखा पड़ रहा है जिससे मानव का जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषित होने से मानव जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं-

• वाहनों से निकलता धुआँ, एसी, फ्रिज तथा कल-कारखानों से निकलते जहरीले रसायन वायु को दूषित कर रही हैं जिससे साँस संबंधी बिमारियाँ जैसे दमा,खाँसी आदि रोगों में बेहतरीन इज़ाफ़ा हो रहा है। साथ ही ये रसायन सर्दियों में घने कोहरे के भी कारण बनते हैं जिससे आये दिन दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ी है।

• कारखानों के कचरे को नदी के पानी में मिलाए जाने से जल दूषित हो रहा है जिससे पेट संबंधी बीमारियों के मरीज़ भी बढ़ रहे हैं।

• कीटनाशक तथा रासायनिक खादों के प्रयोग से से उगे खाद्य पदार्थों के सेवन से मनुष्य असाधरण बीमारियों से पीड़ित हो रहा है साथ ही ये भूमि तथा जल को प्रदूषित कर रहे हैं।

•  वाहनों के शोर, बैंड-बाजों तथा लाउडस्पीकर के कानफोड़ू आवाज़ आदि के कारण हम ध्वनि प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं जिसके कारण हमारी श्रवण शक्ति कमजोर, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, उच्चरक्तचाप उतपन्न होने लगे हैं।

(ii) पर्यावरण संरक्षण के दैनिक उपाय निम्नलिखित हैं-
• दिन के समय सूरज की रोशनी उपलब्ध होने पर लाइट ना जलायें।
• बल्ब तथा ट्यूबलाइट की जगह एलईडी लाईटों का प्रयोग करें।
• बिजली उपकरण जब प्रयोग में ना हो तो उसे बंद रखें।
• ब्रश और शेव करते समय बेसिन का नल बंद रखें।
• छोटे कार्यों में कार या बाइक की जगह साइकिल से या पैदल चलें।
• प्लास्टिक थैली की जगह कपड़ें के थैले इस्तेमाल करें।
• खाना आवश्यकतानुसार लें, ज्यादा खाना ना लें।
• मोबाईल, लैपटॉप आदि का इस्तेमाल `पावर सेविंग मोड' पर करें।


खण्ड - 'ख' (व्यावहारिक व्याकरण)


3. (क) (1) निस्संकोच = न् + स् + स् + अं + क् + ओ + च् + अ
(2) तनख्वाह = त् + अ + न् + अ + ख् + व् + आ + ह् + अ

(ख) (1) असंख्य
(2) संश्लेषण
(3) भाँति

4 (क) (1) परि + हास
(2) सम् + कलन

(ख) (1) ग्रंथ कार
(2) अर्थ + इक

5.
(क) दुर्गम
(ख) सम् + सार

(ग) (1) शाबाश! तुम कक्षा में प्रथम आए।
(2) मैं, तुम और रोहन बाजार जा रहे हैं।
(3) उसने हँसत-हँसते मुझे सब बता दिया।

खण्ड - 'ग' (पाठ्य-पुस्तक)

6. (क) रामन् ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन कर इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया हैं।
(ख) धार्मिक लोगों से वे ला-मज़हबी और नास्तिक लोग ज्यादा अच्छे हैं जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।
(ग) महादेव भाई भरी गर्मी में वर्घा से पैदल चलकर सेवाग्राम आते और जाते थे। 11 मील रोज़ गर्मी में पैदल चलने से स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ा जिससे उनकी अकाल मृत्यु हो गई।

7. महादेव जी की लिखावट बहुत सुंदर थी। उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। उनके लिखे नोटों में कॉमा- हलंत तक की गलती नही होती थी। वाइसराय को जाने वाले पत्र गांधीजी हमेशा महादेव जी से ही लिखाते थे। उनका लेखन सबको मंत्रमुग्ध कर देता था। बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में उनके समान अक्षर लिखने वाला कोई नहीं था। गांधीजी कहते थे महादेव जी के नोट सटीक होते हैं। उनमें कभी कोमा तक की गलती भी नहीं होती है। अगर किसी की टाइप करवाई हुई बातचीत में खामियां निकल जाती तो गांधीजी उन्हें कहते कि महादेव के लिखे नोट से मिलान कर लेना चाहिए था ना।

8. (क) चलते-पुरज़े लोग मूर्ख लोगों की शक्तियों का दुरूपयोग अपने नेतृत्व और बड़प्पन को कायम रखने के लिए कर रहे हैं।
(ख) साधारण आदमी का दोष यह है की वह कुछ समझता-बुझता नहीं है, केवल उबल पड़ता है। दूसरे लोग जिधर जोत देते हैं उधर जुत जाता है।
(ग) धर्म और ईमान की बुराइयों से काम लेने का रास्ता सबसे सुगम है।

9. (क) सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता भंग करने का आरोप लगाकर दंडित किया गया।
(ख) 'एक पत्र छाँह भी माँग मत' से कवि का आशय है कि जीवन के इस कठिन राह में हमें किसी के सहायता की आशा नहीं करने चाहिए बल्कि बिना थके हुए सदा अपने मंजिल के पथ पर बढ़ते रहना चाहिए।
(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि इलाके में प्रतिदिन परिवर्तन आ रहे हैं जिससे उसकी पुरानी पहचान करने की निशानियाँ मिट जाती हैं।

10. 'गीत-अगीत' कविता का केंद्रीय भाव अगीत का महत्व स्पष्ट करना है। जिस भाव या विचार को हम स्वर के द्वारा अभिव्यक्त कर देते हैं वह गीत है वहीं अगर इन भावों को हम शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर पाते तो यह अगीत कहलाता है। यह मन के अंदर ही गूँजते रहते हैं। इसे सुना तो नहीं जा सकता पर इसके सौंदर्य को हृदय में महसूस किया जा सकता है।

11. लेखक को बचपन से ही किताबें पढ़ने और सहेजने का शौक था। वह पुस्तकों वाले कमरे में रहना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि उसके प्राण उन किताबों में बसें हैं जिसे उन्होंने तीस-चालीस सालों में जमा किया है। जीवन के अंतिम समय में वे वहीं रहना चाहते थे भले ही उन्हें पढ़ना मना था। इससे उन्हें अनोखी संतुष्टि मिलती थी।

खण्ड - 'घ' (लेखन)

12. 
(क) बेरोजगारी
बेरोजगारी एक ऐसी अवस्था है जिसमें काम करने के योग्य एवं इच्छुक व्यक्ति को भी काम नहीं मिल पाता। यह समस्या आज के दिनों में हमारे देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत सबसे नौजवान देश है परन्तु इस समस्या के चलते युवा वर्ग की ताकत का उपयोग ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है जिसके कारण कई युवा दिशाभ्रमित होकर अपराध जैसे गलत रास्तों की ओर जा रहे हैं। बेरोजगारी के वैसे तो कई कारण हैं परन्तु शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और बढ़ती जनसंख्या इसके दो मुख्य कारण हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए सरकार को शिक्षा प्रणाली में फैले गंदगी को साफ़ करना चाहिए। डिग्रियों से ज्यादा हुनर तवज्जो दी जानी चाहिए। लोगों को हुनरमंद बनाने के लिए विभिन्न कोर्स शुरू किये जाने चाहिए। कृषि को बढ़ावा देना चाहिए साथ ही छोटे उद्योग-धंधो की स्थापना भी की जानी चाहिए।

(ख) इंटरनेट क्रांति
विज्ञानं के सबसे सफल आविष्कारों में इंटरनेट एक है। इंटरनेट के आविष्कार ने मानव जीवन को अभूतपूर्व गति प्रदान की है। आज जरूरत के सभी सामान कंप्यूटर माउस की एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। इसमें हम देश-दुनिया, मनोरंजन, खेल, मौसम सभी की जानकरी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। संसार के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से देखकर बात कर सकते हैं। इसके माध्यम से लोग घर बैठे खरीददारी कर सकते हैं। बस, रेल, हवाईजहाज़, होटल आदि की बुकिंग कर सकते हैं। सरल शब्दों में इसने मानव जीवन को बेहद आसान कर दिया है। हालांकि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं। इसके भी कई दुरूपयोग किये जा रहे हैं। कई लोग इसका गलत उपयोग दूसरे को परेशान करने के लिए कर रहे हैं। अपराध और आतंकवाद का प्रसार भी इसकी वजह से तेज हुआ है। अगर हम इंटरनेट का प्रयोग सही ढंग से करें तो मानव जीवन यह एक अनोखा वरदान है।

(ग) मन के हारे हार, मन के जीते जीत
यह लोकक्ति मन के शक्ति को बतलाती है जिसके सामने दुनिया की तमाम शक्तियाँ छोटी हैं। जिसका मन शत्रु की ताकत को देखने से हार जाता है तो वह ताकतवर होने के बावजूद पराजित हो जाता है वहीं अगर कमजोर व्यक्ति भी मन से मजबूत हो तो वह आसानी से कोई भी दुसाध्य कार्य कर लेता है। यह महज कहने योग्य ही बातें नहीं हैं बल्कि इतिहास की कई घटनाएँ इसके उदहारण हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर की सेना ने रूस के प्रमुख नगरों पर रात को आक्रमण किया तब वहाँ की जनता ने घरों के सामान को ही अपना शस्त्र बनाकर दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और परास्त किया। अगर रूस की जनता शक्तिशाली हथियारों को देखकर पहले ही हार मान लेती तो यह जीत उसे नहीं मिलती। मनोबल का मजबूत होना कोई भी काम करने लिए आवश्यक है। इसके द्वारा व्यक्ति बड़े से बड़े विपत्तियों पर भी विजय पा सकता है। इसलिए हरेक व्यक्ति को चाहिए की समस्या कितनी भी विकट क्यों ना हो, अगर मनोबल बना रहे तो समस्या से जरूर निकला जा सकता है।

13. परीक्षा भवन
दिनांक- 13/01/2016
प्रिय अनुज,
मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा है की तुम भी वहाँ कुशल और स्वस्थ होगे। छात्रावास के अधीक्षक का पत्र प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने बताया कि तुम ज्यादा समय खेल-कूद में बिता रहे हो। भाई, यह सही है की खेलना-कूदना हमारे स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है परन्तु इसे आवश्यकता से अधिक समय देना हानिकारक भी है। तुम इस समय का उपयोग अच्छे लेखकों द्वारा लिखीं गयीं किताबें पढ़ने के लिए भी कर सकते हो जिससे तुम्हारे सोचने की शक्ति भी बढ़ेगी। इन अच्छे किताबों हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जो भविष्य में हमारे लिए बेहद लाभदायक साबित होंगी। यह तुम्हें कुसंगतियों से दूर रखेगा साथ ही सही वक्त पर सही निर्णय करना भी सिखाएगा। विभिन्न लेखकों के अनुभव तुम्हारे लिए आने वाले जीवन में पथप्रदर्शक साबित होगें।
आशा है की तुम इन बातों पर जरूर ध्यान दोगे और वक्त का सदुपयोग करोगे। अपनी स्वास्थ्य की सूचना पत्र द्वारा जरूर देना।
तुम्हारा बड़ा भाई
अग्रज

14. प्रस्तुत चित्र एक कचराघर का है जहाँ दो लड़कियाँ कचरों में से उन सामानों को चुन रही हैं जिसको बेचकर वे पैसे कमा सकें। लड़कियों की उम्र अभी पढ़ने की है परन्तु इन्हें अपने और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कमाना पड़ रहा है। यह चित्र भारत की गरीबी को दिखाता है। देश के भविष्य को बचाने के लिए सरकार के साथ उन माता-पिताओं को भी पहल करनी चाहिए जो इस तरह के कामों में अपने बच्चों को लगा रहे हैं।

15. रमन: कैसे हो? परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है?
नयन: अच्छा हूँ पर जैसे-जैसे परीक्षा के दिन नया निकट आ रहे हैं वैसे-वैसे इसकी चिंता बढ़ रही है।
रमन: भाई, चिंता करना छोड़कर पढ़ना शुरू कर।
नयन: वह तो कर रहा हूँ भाई पर अच्छे नंबर ना आने का डर तो रहेगा ही।
रमन: अगर तैयारी अच्छी होगी तो डर किस बात की।
नयन: बात तो तुम्हारी ठीक है भाई। सामाजिक विज्ञान तुम्हें समझ में आ रहा है?
रमन: हाँ भाई, तुम्हें नहीं आ रहा है तो इकट्ठे पढ़ लेंगें।
नयन: थैंक्स भाई, कल से शुरू करते हैं।
रमन: जरूर भाई।

16.

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