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Tuesday, 5 January 2016

पाठ 15 - अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले अन्य परीक्षापयोगी प्रश्न और उत्तर। स्पर्श भाग - II

Extra Questions and Answer from Chapter 14 Ab kahan dusron ke dukh se dukhi hone waale Sparsh Bhaag II 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. बाइबिल के सोलोमेन जिन्हें कुरान में सुलेमान कहा गया है, ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। कहा गया है, वह केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, सारे छोटे-बड़े पशु-पक्षी के भी हाकिम थे। वह इन सबकी भाषा जानते थे। एक दफा सुलेमान अपने लश्कर के साथ एक रास्ते से गुजर रहे थे। रास्ते में कुछ चींटियों ने घोड़ों की तापों की आवाज़ सुनी तो डर कर एक-दूसरे से कहा, 'आप जल्दी से अपने-अपने बिलों में चलो, फ़ौज आ रही है।' सुलेमान उनकी बातें सुनकर थोड़ी दूर परं रुक गए और चींटियों से बोले, 'घबराओ नहीं, सुलेमान को खुद ने सबका रखवाला बनाया है। मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ, सबके लिए मुहब्बत हूँ।' चींटियों ने उनके लिए ईश्वर से दुआ की और सुलेमान अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गए।

(क) सुलेमान कौन थे और उनके व्यक्तित्व की क्या विशेषता थी?  (2)
(ख) चींटियाँ क्यों भयभीत थीं?                                                     (1)                              
(ग) सुलेमान ने चींटियों क्या कहा?                                               (2)

उत्तर

(क) सुलेमान ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। वे मानव जाति के राजा होने के साथ पशु-पक्षियों के भी हाकिम थे। वे इनकी भाषा समझते थे तथा सबका भला चाहते थे।
(ख) चींटियाँ सुलेमान की फौज के घोड़ों की टापों की आवाज़ सुनकर भयभीत थीं।
(ग) सुलेमान ने चींटियों से कहा कि वे सबके रखवाले हैं। किसी के लिए मुसीबत ना होकर सबके लिए मुहब्बत हैं।

2. दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धर्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। बढ़ती हुई आबादियों ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूदों की विनाशलीलाओं ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया। अब गरमी में ज़्यादा गरमी, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले,सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन के परिणाम हैं। नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है।

(क) दुनिया के विषय में कौन-कौन से सवाल उठते हैं?                                  (1)
(ख) पहले और अब के घरों में क्या बदलाव आया है?                                     (1)
(ग) मनुष्य ने दुनिया में क्या परिवर्तन लाया और इसके क्या परिणाम हुए?   (2)

उत्तर

(क) दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? यह सवाल दुनिया के विषय में उठते हैं।
(ख) पहले लोग बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में मिलजुलकर रहते थे परन्तु अब लोग छोटे-छोटे डिब्बों जैसे घरों में जीवन बिताने लगे हैं।
(ग) मनुष्य ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया, पेड़ों को रास्तों से हटाया तथा बारूदों की विनाशलीलायें से वातावरण को सताना शुरू कर दिया जिस कारण प्रकृति में असंतुलन आ गया। परिणामस्वरूप गरमी में ज़्यादा गरमी, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित्य नए रोग उत्पन्न हुए।

3. कई सालों से बड़े-बडे़ बिल्डर समंदर को पीछे धकेल कर उसकी ज़मीन को हथिया रहे थे। बेचारा समंदर लगातार सिमटता जा रहा था। पहले उसने अपनी पैफली हुई टाँगें समेटीं, थोड़ा सिमटकर बैठ गया। फिर जगह कम पड़ी तो उकड़ु बैठ गया। फिर खड़ा हो गया...जब खड़े रहने की जगह कम पड़ी तो उसे गुस्सा आ गया। जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है। परंतु आता है तो रोकना मुश्किल हो जाता है, और यही हुआ, उसने एक रात अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाज़ों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में पेंफक दिया। एक वर्ली के समंदर के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने औंधे मुँह और तीसरा गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर टूट-फूटकर सैलानियों का नज़ारा बना बावजूद कोशिश, वे फिर से चलने-फिरने के काबिल नहीं हो सके।

(क) बिल्डर समुद्र के साथ क्या और क्यों कर रहे थे?   (2)
(ख) समुद्र को गुस्सा क्यों आया?                               (2)
(ग) समुद्र ने अपना क्रोध किस प्रकार प्रकट किया?     (1)

उत्तर 

(क) बिल्डर समुद्र को धकेल कर उसकी जमीन हथिया रहे थे। वे ऐसा धन के लालच में कर रहे थे।
(ख) दिन-प्रतिदिन बिल्डरों द्वारा जमीन हथियाए जाने से समुद्र सिकुड़ता जा रहा था। समुद्र के सामने उसके अपने अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया इसलिए उसे गुस्सा आ गया।
(ग) समुद्र ने अपना क्रोध प्रकट करने के लिए अपनी लहरों पर तीन जहाज़ों को बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।

4. ग्वालियर में हमारा एक मकान था, उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। उसमें कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था। एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया। मेरी माँ ने देखा तो उसे दुख हुआ। उसने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश में दूसरा अंडा उसी के हाथ से गिरकर टूट गया। कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। उनकी आँखों में दुख देखकर मेरी माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस गुनाह को खुदा से मुआफ़ कराने के लिए उसने पूरे दिन रो ज़ा रखा। दिन-भर कुछ खाया-पिया नहीं। सिर्फरोती रही और बार-बार नमाज पढ़-पढ़कर खुदा से इस गलती को मुआफ़ करने की दुआ माँगती रही।

(क) ग्वालियर के मकान में घटी किस घटना से लेखक की माँ को दुःख पहुँचा?   (2)
(ख) दूसरे अंडे को बचाने के प्रयास में क्या हुआ?                                               (1)
(ग) लेखक की माँ ने अपनी गलती का किस प्रकार प्रायश्चित किया?                 (1)

उत्तर

(क) ग्वालियर के मकान के दालान में रोशनदान में कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बनाया था। एक बार बिल्ली ने उचककर उनके एक अंडे को फोड़ दिया जिसे देखकर लेखक की माँ को दुःख पहुँचा।
(ख) दूसरे अंडे को बचाने के प्रयास में लेखक की माँ की हाथ से अंडा गिरकर टूट गया।
(ग) लेखक की माँ ने दिन भर रोज़ा रखा और दिनभर कुछ खाया-पिया नहीं। बार-बार नमाज़ पढ़ती रहीं और गलती की माफ़ी माँगती रहीं। इस तरह लेखक की माँ ने प्रायश्चित किया।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1. सुलेमान कौन थे? उन्हें सबका राजा क्यों कहते हैं?

उत्तर

सुलेमान ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। वे सिर्फ मनुष्य जाति की ही भलाई नहीं करते थे बल्कि पशु-पक्षियों की भी भाषा जानते थे और उनका भी ध्यान रखते थे इसलिए उन्हें सबका राजा कहते हैं।

2. शेख अयाज़ ने अपनी आत्म-कथा में किस घटना का जिक्र किया है?

उत्तर

शेख अयाज़ ने अपनी आत्म-कथा में अपने पिता की एक घटना का जिक्र किया है। एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे। भोजन करते समय उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्हें लगा की च्योंटा कुएँ से उनके पास आकर बेघर हो गया है इसलिए उन्होंने थोड़ी भी देर ना करते हुए उसे वापस उसके घर पहुँचाने के लिए भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए।

3. लशकर सारी उम्र रोते क्यों रहे?

उत्तर

एक बार लशकर के सामने एक घायल कुत्ता गुज़रा। लशकर ने उसे दुत्कारते हुए नज़रों के सामने से दूर हो जाने को कहा चूँकि इस्लाम में कुत्ते को गन्दा समझा जाता है। इसपर उसे कुत्ते ने कहा की ना तो मैं अपनी मर्ज़ी से कुत्ता हूँ और ना ही तुम अपनी मर्ज़ी से मनुष्य, हमें बनाने वाला एक ही है।

4. लेखक की माँ ने प्रायश्चित क्यों और कैसे किया?

उत्तर

लेखक की माँ की हाथों से गलती से कबतूर का अंडा फूट गया इसलिए उन्होंने दिन भर रोज़ा रखकर नमाज़ पढ़ती रहीं और गलती की माफ़ी माँगती रहीं। इस तरह लेखक की माँ ने प्रायश्चित किया।

5. 'अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले' पाठ से हमें क्या सन्देश मिलता है?

उत्तर

इस पाठ से हमें प्रकृति से प्रेम करने का सन्देश मिलता है। हमें अपने आप को सर्वश्रेष्ठ और अन्य प्राणियों को तुच्छ नहीं समझना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का नुकसान नहीं करना चाहिए। सबसे मिलजुलकर रहना तथा सबके सुख-दुःख का ख्याल रखना चाहिए।

Wednesday, 16 December 2015

पाठ 14 - गिरगिट अन्य परीक्षापयोगी प्रश्न और उत्तर। स्पर्श भाग - II

Extra Questions and Answer from Chapter 14 Girgit Sparsh Bhaag II 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. "हुज़ूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है," सिपाही ने कहा।
ओचुमेलॉव मुड़ा और भीड़ की तरफ चल दिया। उसने काठगोदाम के पास बटन विहीन बास्केट धारण किये हुए उस आदमी को देखा, जो अपना दायाँ हाथ उठाये वहाँ मौजूद था तथा उपस्थित लोगों को अपना लुहलुहान ऊँगली दिखा रहा था। उसके नशीले-से हो आये चेहरे पर साफ लिखा था दिख रहा था - "शैतान की औलाद! मैं तुझे छोड़ने वाला नहीं! और उसकी ऊँगली भी जीत के झंडे की तरह गड़ी दिखाई दे रही थी। ओचुमेलॉव ने इस व्यक्ति को पहचान लिया। वह ख्यूक्रिन नामक सुनार था और इस भीड़  बीचोंबीच, अपनी अगली टाँगे पसारे, नुकीले मुँह और पीठ पर फैले पीले दागवाला, अपराधी-सा नज़र आता, सफ़ेद बारजोई पिल्ला, ऊपर से नीचे तक काँपता पसरा पड़ा था। उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट आतंक की गहरी छाप थी।

(क) व्यक्ति की ऊँगली लहूलुहान कैसे हो गयी थी?  (1)
(ख) घायल व्यक्ति के चेहरे पर कैसे भाव थे?           (2)
(ग) कुत्ते की स्थिति कैसी थी?                                 (2)

उत्तर

(क) कुत्ते द्वारा काटे जाने से व्यक्ति की ऊँगली लहूलुहान हो गयी थी।
(ख) घायल व्यक्ति के चेहरे पर कुत्ते के प्रति क्रोध के भाव थे। उसके चेहरे से लग रहा था कि वह उस कुत्ते को छोड़ने वाला नहीं है।
(ग) कुत्ता ऊपर से नीचे तक काँपता पसरा पड़ा था। उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।

2. "हुज़ूर! मैं तो चुपचाप चला जा रहा था, "मुँह पर हाथ रखकर खाँसते हुए ख्यूक्रिन ने कहा -"मुझे मित्री मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था, तब अचानक इस कमबख्त ने अकारण मेरी ऊँगली काट खाई। माफ़ करें। आप तो जानते हैं मैं ठहरा कामकाजी आदमी... मेरा काम भी एकदम पेचीदा किस्म का है। मुझे लग रहा है एक हफ्ते तक मेरी यह ऊँगली अब काम करने लायक नहीं हो पाएगी। तो हुज़ूर! मेरी गुज़ारिश है कि इसके मालिकों से मुझे हरज़ाना तो दिलवाया जाए। यह तो किसी कानून में नहीं लिखा है हुज़ूर, कि आदमखोर जानवर हमें काट खाएँ और हम उन्हें बरदाश्त करते रहे। अगर हर कोई इसी तरह काट खाना शुरू कर दे तो हमारी ज़िंदगी तो नर्क हो जाए....

(क) उपर्युक्त कथन किसके हैं?                                                  (1)
(क) ख्यूक्रिन क्या काम करता था? उसकी ऊँगली कैसे कट गई?  (2)
(ख) ख्यूक्रिन की क्या गुज़ारिश थी और क्यों?                            (2)

उत्तर

(क) उपर्युक्त कथन ख्यूक्रिन नामक व्यक्ति के हैं।
(ख) ख्यूक्रिन सुनार का काम करता था। कुत्ते द्वारा अकारण काटे जाने की वजह से उसकी ऊँगली कट गई।
(ग) ख्यूक्रिन की गुज़ारिश थी कि उसे कुत्ते के मालिक से मुआवज़ा मिलना चाहिए क्योंकि उसका काम पेचीदा है और ऊँगली काट जाने के कारण वह कई दिनों तक काम नहीं कर पाएगा।

3."मेरे ख्याल से यह जनरल झिगालॉव का है।" भीड़ में से एक आवाज़ उभरकर आई।
"जनरल झिगालॉव! हूँ येल्दीरीन मेरी कोट उतरवाने में मेरी मदद करो.... ओफ़्फ़ आज कितनी गरमी है। लग रहा है बारिश होकर रहेगी," वह ख्यूक्रिन की तरफ मुड़ा- "एक बात मेरी समझ में नहीं आती- आखिर इसने तुम्हें कैसे काट खाया? यह तुम्हारी ऊँगली तक पहुंचा कैसे? तू इतना लम्बा-तगड़ा आदमी और यह रत्ती भर का जानवर! जरूर ही तेरी ऊँगली पर कोई कील वगैरह गड़ गई होगी और तत्काल तूने सोचा होगा कि इसे कुत्ते के मत्थे मढ़कर कुछ हरज़ाना वगैरह ऐंठकर फायदा उठा लिया जाए। मैं तेरे जैसे शैतान लोगों को अच्छी तरह समझता हूँ।"

(क) किसे अचानक गर्मी लगने लगी?                                                                                  (1)
(ख) ख्यूक्रिन को कुत्ते ने नहीं काटा - इसे सिद्ध करने के लिए ओचुमेलॉव ने क्या तर्क दिए?   (2)
(ग) ओचुमेलॉव के अनुसार ख्यूक्रिन ने ऊँगली कट जाने का दोष कुत्ते के मत्थे क्यों मढ़ा?       (2)

उत्तर

(क) ओचुमेलॉव को अचानक गर्मी लगने लगी।
(ख) इसे सिद्ध करने के लिए ओचुमेलॉव ने ख्यूक्रिन से कहा कि तुम इतने लम्बे-तगड़े आदमी हो। यह छोटा जानवर तुम्हारी ऊँगली तक कैसे पहुँच सकता है।
(ग) ओचुमेलॉव के अनुसार ख्यूक्रिन ने ऊँगली कट जाने का दोष कुत्ते के मत्थे इसलिए मढ़ा क्योंकि वह कुत्ते के मालिक से हरजाना लेकर अपना फ़ायदा उठाना चाहता था।

4. "उधर देखो, जनरल साहब का बावर्ची आ रहा है। जरा उससे पता लगते हैं.... ओ प्रोखोर! इधर आना भाई। इस कुत्ते को तो पहचानो... क्या यह तुम्हारे यहाँ का है?"
"एक बार फिर से तो कहो! इस तरह का पिल्ला तो हमने कई जिंदगियों में नहीं देखा होगा।"
"अब अधिक जाँचने की जरूरत नहीं है," ओचुमेलॉव ने कहा- "यह आवारा कुत्ता है। इसके बारे में इधर खड़े होकर चर्चा करने की जरूरत नहीं है। मैं तुमसे पहले ही कह चुका हूँ कि यह आवारा है , तो है। इसे मार डालो और सारा किस्सा ख़त्म।"
"यह हमारा नहीं है," प्रोखोर ने आगे कहा- "यह तो जनरल साहब के भाई का है, जो थोड़ी देर पहले इधर पधारे हैं। अपने जनरल साहब को 'बारजोयस' नस्ल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं है पर उनके भाई को यही नस्ल पसंद है।"

(क) ओचुमेलॉव ने किसे पुकारा?                               (1)
(ख) उसने कुत्ते की बारे में क्या बताया?                      (2)
(ग) ओचुमेलॉव ने कुत्ते को मार डालने को क्यों कहा?   (2)

उत्तर

(क) ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के बावर्ची प्रोखोर को पुकारा।
(ख) उसने बताया कि कुत्ता जनरल साहब का नहीं है। शायद कुत्ता जनरल साहब के भाई का है चूँकि उन्हें ही 'बारजोयस' नस्ल के कुत्ते पसंद हैं।

(ग) जब प्रोखोर ने बताया की कुत्ता जनरल साहब का नहीं है तब ओचुमेलॉव ने कुत्ते को आवारा बताते हुए मार डालने को कहा।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1. ख्यूक्रिन की बात पहली बार सुनने पर ओचुमेलॉव ने क्या कहा?

उत्तर

ख्यूक्रिन की बात पहली बार सुनने पर ओचुमेलॉव ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए कहा कि वह कुत्ते के मालिक को छोड़ने नहीं वाला है। इस तरह कुत्ते को आवारा छोड़ कर कानून तोड़ने वाले मालिक को वह मजा चखाकर रहेगा। उस बदमाश आदमी को वह इतना जुर्माना ठोकेगा कि उसे पता चल जाए की जानवरों को आवारा छोड़ने का नतीजा क्या होता है।

3. येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी बताने के लिए क्या-क्या तर्क दिए?

उत्तर

येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी बताने के लिए कहा कि इसने ही अपनी जलती सिगरेट से इस कुत्ते की नाक यूँ ही जला डाली होगी वरना यह कुत्ता बेवकूफ है क्या जो इसे काट खाता। उसने ख्यूक्रिन को शैतान बताते हुए कहा कि वह हमेशा कोई ना कोई शरारत करता रहता है।

4. ओचुमेलॉव के अनुसार काटने वाला कुत्ता जनरल साहब का क्यों नहीं हो सकता था?

उत्तर

ओचुमेलॉव के अनुसार जनरल साहब के सभी कुत्ते महँगे और अच्छी नस्ल के हैं और काटने वाला कुत्ता मरियल-सा है इसलिए वह जनरल साहब का नहीं हो सकता था।

5. ख्यूक्रिन के अनुसार कानून किस बात की इजाजत नहीं देता?

उत्तर

ख्यूक्रिन के अनुसार कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि आदमखोर जानवर हमें काट खाएँ और हम उन्हें बरदाश्त करते रहें।

6. प्रोखोर ने कुत्ते के विषय में क्या बताया और ओचुमेलॉव पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर

प्रोखोर ने कुत्ते के विषय में बताया कि वह कुत्ता जनरल साहब के भाई का है। इससे ओचेमेलॉव का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। वह उस मरियल कुत्ते को प्यारा और मासूम डॉगी बताने लगा। उसने ख्यूक्रिन को भी धमकाया।

7. पाठ में गिरगिट के स्वभाव का कौन सा पात्र है और क्यों?

उत्तर

पाठ में गिरगिट के स्वभाव का इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव है क्योंकि वह समय-समय पर खुद अपनी कही बातों से ही पलट जाता है।

8. 'गिरगिट' पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

'गिरगिट' पाठ में मूल रूप से शासन में फैले चापलूसी और भाई-भतीजावाद को दिखाया गया है। पुलिस लोगों की सुरक्षा छोड़कर अपने स्वार्थ के लिए अधिकारियों की चापलूसी करने में लगी है। ऐसे में आम आदमी न्याय से वंचित है।

9. पाठ का शीर्षक 'गिरगिट' की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

गिरगिट अपना रंग क्षण-क्षण बदलने के लिए मशहूर है। उसी तरह इस पाठ में भी इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव अपनी बात, विचार और व्यवहार को पल-पल बदलते रहता है। जब वह मरियल कुत्ते को देखता है तब वह उसके मालिक को मजा चखाने की बात करता है परन्तु जब उसे पता लगता है कि कुत्ता जनरल साहब का है तब वह ख्यूक्रिन को ही दोषी ठहराने लगता है। फिर बाद में जब उसे लगता है कि कुत्ता जनरल साहब का नहीं है तब फिर वह मजा चखाने की बात करता है। अंत में जब ओचुमेलॉव को मालूम होता है कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है तो वह मरियल कुत्ते को अति सुंदर 'डॉगी' बताता है। इस तरह 'गिरगिट' शीर्षक इस पाठ के लिए उपयुक्त और सार्थक है।