Saturday 15 August 2015

NCERT Solutions for Class 7th: पाठ - 9 चिड़िया की बच्ची हिंदी (कहानी)

NCERT Solutions for Class 7th: पाठ - 9 चिड़िया की बच्ची (कहानी) हिंदी वसंत भाग - II

- जैनेन्द्र कुमार

पृष्ठ संख्या: 73

1. किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?

उत्तर

माधवदास ने संगमरमर की नयी कोठी बनवाई थी और उसके सामने सुहावना सा एक बगीचा भी लगवाया था। उन्हें धन की कोई कमी नही थी। उन्होंने चिड़िया को धन का, सोने का पिंजरा और मोतियों की झालर का भी लालच दिया और कहा की चिड़िया जो मांगे वो सब दे सकते हैं।  इन बातों से पता चलता है की  माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था।
उनका चिड़िया से कहना की मेरा महल भी सूना है, वहाँ कोई चहचहाता नहीं है, तुम्हें देखकर मेरी रागनियों का दिल बहलेगा, मेरा दिल वीरान है आदि बातों से पता चलता है कि माधवदास सुखी नहीं था।

2. माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

नहीं, माधवदास का बार-बार चिड़िया से यह कहना कि यह बगीचा तुम्हारा ही है निःस्वार्थ मन से नही कहा गया था। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि उन्हें वह चिड़िया बड़ी प्यारी लगी। वह उसे अपने पास ही रखना चाहते थे ताकि उनका मन बहलता रहे।

3. माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

माधवदास और चिड़िया का मनोभाव एक दूसरे के विपरीत था। एक तरफ माधवदास के लिए भौतिक सुख यानी धन-संपत्ति से बड़ा कोई ना था वहीँ दूसरी तरफ चिड़िया के लिए आत्मिक और पारिवारिक सुख ज्यादा महत्वपूर्ण थी। उसके लिए माँ की गोद सबसे ज्यादा प्यारी थी। उसे मोती और सोने के मूल्य से  मतलब नहीं था इसलिए उसने माधवदास के बार-बार समझाने पर भी सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दिया। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद बेतुकी थी।

4. कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर

कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे ख़ुशी महसूस हुई। इस कारण ही वह अपने माँ के पास वापस पहुँच पाई नहीं तो माधवदास के पिंजरों में सदा के लिए कैद हो जाती। अगर ऐसा होता तो वह स्वछंद होकर उड़ नहीं पाती। उसे सारी जिंदगी कैद में गुजारना पड़ता और वह माधवदास के लिए बस एक मन बहलाने का सामान बन रह जाती जो कि बहुत बुरा होता चूँकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय है।

5. 'माँ मेरी बाट देखती होगी' - नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी ज़िंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

उत्तर

माँ का हमारे जीवन बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। वो हमें जन्म देती हैं, हमारा पालन-पोषण करती हैं और दुनिया के बुरे-भले चीज़ों से अवगत कराती हैं। वह सुख-दुःख में भी हमारा साथ नही छोड़तीं। वही बच्चे की पहली दोस्त और अध्यापिका भी होती है।

6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर

इस कहानी का एक और शीर्षक 'सच्चा सुख' भी रख सकते हैं क्योंकि यहाँ धन-दौलत वाले व्यक्ति को सुखी ना बताकर एक चिड़िया को सुखी दिखाया है जिसके पास अपना परिवार है।

कहानी से आगे

1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।

उत्तर

इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें कई जगह देखने को मिलता है जैसे रोज सुबह सूरज का खिलना और शाम को अस्त होना, चन्द्रमा का रात में आना, तारों का रात में टिमटिमाना, ऋतू में परिवर्तन आदि।

पृष्ठ संख्या: 74

2. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा -'स्वाधीनता' या 'प्रलोभनोंवाली पराधीनता'?
ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। 
नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें -
क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।

उत्तर

मुझे स्वाधीनता प्रलोभनोंवाली पराधीनता से ज्यादा पसंद होगी क्योंकि सारी सुख-सुविधाएँ मिलने के बावजूद हमें दूसरे के अधीन ही रहना होगा।
पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता क्योंकि उसने वास्तव जीवन में सुख को देखा ही नहीं है। वह दूसरों की इच्छा पर रहा है इसलिए वो सपने में भी सुख नही देख सकता।

 भाषा की बात

1. पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं -
क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
ख) कभी पर हिलाती थी।
ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों 'पर' के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी 'पर' का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए'पर' के प्रयोग हुए हों

उत्तर

उस पेड़ पर फल लगे हैं।
उस चिड़िया के पर बहुत सुन्दर हैं।
उसने प्रयत्न बहुत किया पर परीक्षा में प्रथम ना आ सका।

2. पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिन्दी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिन्दी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।

उत्तर

ठहरियो - ठहरना
मन्नै - मुझे
अइयो - आओ

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