NCERT Solutions for Class 7th: पाठ - 19 आश्रम का अनुमानित व्यय (लेखा-जोखा) हिंदी वसंत भाग-II
- मोहनदास करमचंद गांधी
पृष्ठ संख्या: 139प्रश्न अभ्यास
लेखा जोखा
1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गाँधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगें?
उत्तर
गाँधी जी आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना चाहते होंगें इसलिए वह पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि खरीदना चाहते होंगें।
2. गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उनपर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती का पता चलता है?
उत्तर
गांधीजी बचपन में स्कूल हमेशा समय पर जाते और छुट्टी होते ही घर वापस चले आते। वे समय के पाबंद इंसान थे। वे कभी भी फिजूलखर्ची नहीं करते थे यहाँ तक कि पैसा बचाने के लिए वे कई बार कई किलोमीटर पैदल यात्रा करते थे क्योंकि उनका मानना था कि धन को जरुरी कामों में ही खर्च करना चाहिए। कुछ किताबों के इन अंशों से हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती पता चलता का है।
(छात्र स्वयं भी गांधीजी की जीवनी पर आधारित किताबें पढ़कर जवाब दे सकते हैं।)
4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे - घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
उत्तर
कपड़े सिलना - यह काम मुझे बहुत पेचीदा लगता है इसलिए मैं इसे नही कर पाता।
पेड़-पौधे लगाना - चूँकि मुझे पौधों के बारे में ज्यादा जानकारी नही है इसलिए मुझे यह नही आता।
पेड़-पौधे लगाना, कार चलाना, कम्प्यूटर चलाना आदि काम मैं सीखकर ही छोड़ूंगा।
(छात्रों को अपने विचारों के अनुसार उत्तर दे सकते हैं।)
5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर
आश्रम में स्वयं काम करने को ज्यादा महत्व दिया जाता था क्योंकि गांधीजी ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।गांधीजी लोगों को आजीविका प्रदान कर, लघु उद्योग को बढ़ावा देकर, श्रम को बढ़ावा देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना चाहते हैं।
भाषा की बात
1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है -
प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित।
उत्तर
प्रमाणित - प्रमाण + इत
व्यथित - व्यथा + इत
द्रवित - द्रव + इत
मुखरित - मुखर + इत
झंकृत - झंकार + इत
शिक्षित - शिक्षा + इत
मोहित - मोह + इत
चर्चित - चर्चा + इत
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे - सप्ताह + इक = साप्ताहिक।
नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक।
उत्तर
मौखिक - मुख + इक
संवैधानिक - संविधान + इक
प्राथमिक - प्रथम + इक
नैतिक - नीति + इक
पौराणिक - पुराण + इक
दैनिक - दिन + इक
पृष्ठ संख्या: 140
2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे सामासिक शब्दों को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छः शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर
धनहीन - धन से हीन
रेलभाड़ा - रेल के लिए भाड़ा
रसोईघर - रसोई के लिए घर
आकाशवाणी - आकाश से वाणी
देशनिकाला - देश से निकाला हुआ
पापमुक्त - पाप से मुक्त
पाठ में वापिस जाएँ
No comments:
Post a Comment