Thursday 3 December 2015

पाठ 5 - वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् अन्य परीक्षापयोगी प्रश्न और उत्तर। स्पर्श भाग - I

Extra Questions and Answer from Chapter 5 Vaigyanik chetna ke vaahak Chandrashekhar Venkat Raman Sparsh Bhaag I

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. बात सन् 1921 की है, जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृत-प्रेमी रामन् को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घंटों खोये रहते। लेकिन रामन् केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी- 'आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?' रामन् सवाल का जवाब ढूँढने में लग गए। जवाब ढूँढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।

(क) रामन् समुद्री यात्रा पर कब गए थे?                                                         (1)
(ख) रामन् को जहाज के डेक से किसे निहारना अच्छा लगता था और क्यों?     (2)
(ग) रामन् के अंदर की वैज्ञानिक जिज्ञासा क्या प्रश्न कर बैठी?                        (2)

उत्तर

(क)  रामन् सन् 1921 में समुद्री यात्रा पर गए थे।
(ख) रामन् को जहाज के डेक से नील समुद्र को घंटों निहारना अच्छा लगता था क्योंकि वे भावुक प्रकृति प्रेमी थे।
(ग) समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है? कोई और क्यों नहीं होता है? रामन् के अंदर की वैज्ञानिक जिज्ञासा इन प्रश्नों को कर बैठी।

2. रामन् का मस्तिष्क विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बचपन से ही बैचैन रहता था। अपने कॉलेज के ज़माने से ही उन्होने शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था। उनकी दिली इच्छा तो यही थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को समर्पित कर दें, मगर उन दिनों शोधकार्यों को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई ख़ास व्यवस्था नहीं थी। प्रतिभावान छात्र सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे। रामन् भी अपने समय के सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर बन गए। उनकी तैनाती कलकत्ता में हुई।

(क) किन रहस्यों को सुलझाने में रामन् का मस्तिष्क बैचैन रहता था?                (1)
(ख) रामन् की दिली इच्छा क्या था?                                                                  (1)
(ग) वे सरकारी नौकरी की ओर क्यों आकर्षित हुए और उनकी तैनाती कहाँ हुई?    (2)

उत्तर

(क) विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने में रामन् का मस्तिष्क बैचैन रहता था।
(ख) रामन् की दिली इच्छा अपना सारा जीवन शोधकार्य को समर्पित कर देने की थी।
(ग) वे सरकारी नौकरी की ओर इसलिए आकर्षित हुए क्योंकि उन दिनों शोधकार्य को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई ख़ास व्यवस्था नहीं थी। अन्य प्रतिभावान छात्र सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे। उनकी तैनाती कलकत्ता में हुई।

3. वाद्ययंत्रों पर किए जा रहे शोधकार्यों के दौरान उनके अध्यन के दायरे में जहाँ वायलिन, चैलो या पियानो जैसे विदेशी वाद्य आए, वहीँ वीना, तानपुरा और मृदंगम पर भी उन्होंने काम किया। उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया हैं। वाद्ययंत्रों के कंपन के पीछे छिपे गणित पर उन्होंने अच्छा-खासा काम किया और अनेक शोधपत्र भी प्रकाशित किए।

(क) रामन् ने किन भारतीय वाद्ययंत्रों पर काम किया?  (1)
(ख) रामन् ने पश्चिमी देशों की किस भ्रान्ति को तोड़ा?  (2)
(ग) उन्होंने वाद्ययंत्रों के किस विषय पर काम किया?    (2)

उत्तर

(क) रामन् ने वीना, तानपुरा, मृदंगम् जैसे वाद्ययंत्रों पर काम किया।
(ख) रामन् ने पश्चिमी देशों की इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया हैं।
(ग) उन्होंने वाद्ययंत्रों के कंपन के पीछे छिपे गणित पर अच्छा-खासा काम किया और अनेक शोधपत्र भी प्रकाशित किए।

4. रामन् सरकारी नौकरी की सुख-सुविधाओं को छोड़ सन् 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए। उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण थी। कलकत्ता विश्विद्यालय की शैक्षणिक माहौल में वे अपना पूरा समय अध्यन, अध्यापन और शोध में बिताने लगे। चार साल बाद यानी सन् 1921 में समुद्र-यात्रा के दौरान जब रामन् के मस्तिष्क में समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें लेने लगा, तो उन्होंने आगे इस दिशा में प्रयोग किए, जिसकी परिणति रामन् प्रभाव के की खोज के रूप में हुई।

(क) रामन् कब कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए?          (1)
(ख) वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में किस तरह समय बिताने लगे?       (1)
(ग) कौन-सी बात रामन् प्रभाव के की खोज के रूप में सामने आई?       (2)

उत्तर

(क) रामन् सन् 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए।
(ख) वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में अपना पूरा समय अध्यन, अध्यापन और शोध में बिताने लगे।
(ग) सन् 1921 में जब रामन् समुद्री यात्रा पर थे उस समय समुद्र के नीले रंग होने की वजह का सवाल रामन् प्रभाव की खोज के रूप में सामने आई।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1. रामन् ने किस रहस्य से पर्दा हटाया?

उत्तर

रामन् ने समुद्र की नील वर्णीय आभा से पर्दा हटाया।

2. किन प्रश्नों के उत्तर खोजने के बाद रामन् विश्वविख्यात बन गए?

उत्तर

'समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है? कोई और क्यों नहीं होता है?' इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के बाद रामन् विश्वविख्यात बन गए।

3. रामन् के कॉलेज की पढाई कहाँ पूरी हुई?

उत्तर

रामन् ने कॉलेज की पढाई ए.बी.एन. कॉलेज तिरुचिरापल्ली से और फिर प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से की।

4. रामन् ने शोधकार्यों को छोड़कर सरकारी नौकरी क्यों अपनाया?

उत्तर

रामन् ने शोधकार्यों को छोड़कर सरकारी नौकरी इसलिए अपनाया क्योंकि उन दिनों शोधकार्य को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई ख़ास व्यवस्था नहीं थी। प्रतिभावान छात्र सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित होते थे।

5. 'इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस' एक अनूठी प्रयोगशाला क्यों थी?

उत्तर

इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस' प्रयोगशाला का मुख्य उद्देश्य देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना था। उस समय देश में ऐसे उद्देश्य के लिए समर्पित यह एकमात्र प्रयोगशाला थी इसलिए यह एक अनूठी प्रयोगशाला थी।

6. सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् के सामने क्या प्रस्ताव रखा?

उत्तर

सर आशुतोष मुख़र्जी ने रामन् के सामने सरकारी नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर का पद स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा।

7. रामन् की खोज से पहले अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्यन के लिए किसका उपयोग किया जाता था?

उत्तर

रामन् की खोज से पहले अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्यन के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता था। यह तकनीक बेहद मुश्किल थी और गलतियों की संभावना भी अधिक रहती थी।

8. रामन् ने विदेशों में भी अपनी भारतीय पहचान को अक्षुण्ण रखा। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी रामन् ने अपने दक्षिण भारतीय पहनावे को नहीं छोड़ा। वे शुद्ध शाकाहारी थे और मदिरा से सख्त परहेज करते।

पठन सामग्री और सार - वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन्

NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 5 - वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन्

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